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मन में धीरज राखिए तभी मिलेंगे नूर-श्याना बनकर हम यहां लेते रहें सरूर

संदीप कुमार सिंह 09 Nov 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है. जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभांवित होंगे. 7973 0 Hindi :: हिंदी

#विधा:_दोहा छंद
#"सृजन समीक्षार्थ प्रस्तुत"
मन में धीरज राखिए,तभी मिलेंगे नूर।
श्याना बनकर हम यहां,लेते रहें सरूर।।

मन में धीरज राखिए,रहिए और बुलंद।
हसी ख्वाब बुनते रहें,रौनक मत हो मंद।।

मन में धीरज राखिए,यहां बहुत है फेर।
समय अनुकूल हम चलें,मिले नहीं अंधेर।।

मन में धीरज राखिए,जीवन है संग्राम।
हरदम खुद को दृढ़ रखें,मिले सुखद पैगाम।।

मन में धीरज राखिए,मध्यम जब हो चाल।
यही राह है श्रेष्ठ अति,सुन्दर रहता हाल।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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