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स्त्री

Vishakha Sharma 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य #Vishlekh2314# 31656 1 5 Hindi :: हिंदी

टूटना क्या होता है,
ये उससे पूछो,
जो घर की चार दीवारो तक ही सिमट जाती है।
उड़ान उसे भी भरनी थी,
लेकिन वो परिवार, बच्चे, घर,
इनमें ही उलझ कर रह जाती है।
मुस्कुराती है वो सबके साथ में,
मुस्कुराती है वो सबके साथ में,
लेकिन अकेले में आंखें उसकी भी भर आती है।
ख्वाब तो उसने भी देखे थे बड़े-बड़े,
लेकिन जिम्मेदारियों के दबाव से,
उन्हें वह धुंधला कर जाती हैं।
आशाएं बहुत थी उसे अपनों के अपनेपन से,
लेकिन वो अपनों के रूखे-सूखे व्यवहार,
के कारण पराएपन से जुड़ जाती है।
वो सब सहन कर जाती है,
वो सब सहन कर जाती है,
यूं ही नहीं वो स्त्री कहलाती है।

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Vishakha Sharma
Vishakha Sharma 😊

1 year ago

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