संदीप कुमार सिंह 01 May 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाजिक हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4020 0 Hindi :: हिंदी
मूँह छुपा कर गया है अँधेरा, मेरे दिल ने जो माँगा मिल गया, मैंने जो कुछ भी चाहा मिल गया। हो गई प्यार की हर तमन्ना- तमन्ना,जँवा, मूँह छुपा कर गया है अँधेरा, मेरे जीवन का आया सवेरा। आज कदमों में झुकने लगा आसमा, हो गई प्यार की हर तमन्ना - तमन्ना जाना धीरे - धीरे मेरा सपना एक नया रंग लाया, मेरे होंठों पे लाए, मिठे - मिठे कई नगमें। दिल के विरान वादी में गाये, देखते - देखते कैसा बदला समा ? ये नया मोर है जिन्दगी का, छा रहा है नशा बेखुदी का। अब तो फूलों में होगा मेरा आशियाँ, मेरे दिल ने जो माँगा मिल गया, मैंने जो कुछ भी चाहा मिल गया। हो गई प्यार की हर तमन्ना - तमन्ना, जँवा। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....