संदीप कुमार सिंह 15 Aug 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5272 0 Hindi :: हिंदी
(दोहा छंद) हम पंछी इक डाल के,सुख दुख में हों साथ। मिले कदम से दृढ़ कदम,हाथों में हो हाथ।। हम पंछी इक डाल के,मधुर मधुर व्यवहार। मस्ती का आलम रहे,खुशियाँ मिले अपार।। हम पंछी इक डाल के,गुलशन मय संसार। बड़ी बड़ी नित बात कर,पाते हैं उपहार।। हम पंछी इक डाल के,अलग अलग है काम। रहते फिर भी मेल से,अलग अलग है नाम।। हम पंछी इक डाल के,करूं नहीं तकरार। साथी बने विकास का,बांटो सबको प्यार।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....