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बेरोज़गारी के हाथ

Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #Ambedkarnagar Poetry#Rambriksh Kavita#berojgari per kavita#berojgari ke hath kavita 11619 0 Hindi :: हिंदी

कविता-बेरोज़गारी के हाथ
आदि अंत हो या अनन्त हो
मिटी कहां है क्षुधा किसी की
सायद  इसी  लिए  ही ईश्वर
कर खाने के लिए हाथ दी

इन हाथों से मेहनत करना
सीखा मैंने इस आशा से
सपनो को साकार करुंगा
रोजगार के अभिलाषा से


रोजी रोटी काम मिलेगा
छोटे बड़ों का पेट पलेगा
चूल्हा चाकी आंटा दाल
ऊपर से सब खर्च चलेगा


कसा शिकंजा राजनीति ने
रोजी हो गयी कोसो दूर
बिखर गए सब सपने सबके
जीवन हो गया चकनाचूर


इन हाथों का अब क्या होगा
खतम हुआ सारा रोजगार
काट दिया लो इन हाथों को
पड़ा  फालतू  था  बेकार,


सोंचा बता दूं टिप्स टिप्पणी
जनतंत्र निकम्मे पत्रकार को
ले जा ले जा काट दिया जो
तरस रहा था रोजगार को

मैं काट दिया पर मरा नहीं
बेकामो वाली पड़ी लाश है
ले जा संसद टी.वी.शो में
पूछ मेरा क्या धर्म जाति है


सहम गया कुछ पल के लिए
आंखों में आंसू भर आये
एक अकेले पेट के खातिर!
दो हाथ भला कम पड़ जाये!

पड़ा रहा सुन झूठा वादा
सहते जीवन को पार किया
सह न सका दु:ख का जीवन
वह तड़प तड़प कर काट लिया

पाया होता यदि काम भला
जीवन ऐसे वह क्यों खोता
पांव पकड़ता मां के अपने
इन हाथों से कविता लिखता

सड़क बनाता घर सजाता
गणतंत्र पर झण्डा फहराता
और तो और वह बच्चों को
ह से हाथ का पाठ पढ़ाता

रचनाकार- रामवृक्ष,अम्बेडकरनगर

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