Raj Ashok 01 Jan 2024 कविताएँ देश-प्रेम हल्दी-घाटी 15562 0 Hindi :: हिंदी
हर एक सुबहाँ ,यहाँ सवालों की राजदार है। यै रजपुती रक्त से रंगी । हल्दीघाटी , उस रण की गाथा गाती है। जो मातृभुमी पर अपना सब न्योछावर , सब कुर्बान ,सब बलिदान । कर गऐ । इतिहास के हर पन्नै पर सबक लिखे है। लाखों , हर पन्ने पर है। दास्ता वीरता की पढों तो गौरव ,गरव, अभिमान होता है। क्या वीर जन्ने इस घरा ने हर एक शुरमाँ, लोखों पर भारी सत्य छोड़ा ,छल-कपट का सहारा ले के भी जीत नहीं सके। जो उस एकलिंग के भक्त को। जहाँ, स्वाभिमान के प्रेरणा श्रोत उस रण मे सामिल गज, और घोडें हो उस अमरता के दिन क्या अमृत वर्षा हो रही थी। पसीना कम रक्त ज्यादा बह रहा था। कही कटी घड़-कटा सर मातृ भुमी की आजादी पर अडा़ था।