नरेंद्र भाकुनी 20 Feb 2024 कविताएँ देश-प्रेम Army, Indian Army, भारत सेवा, फौज, भगत सिंह, love 1655 0 Hindi :: हिंदी
अपने शहीद आगाज़ देखलो कितना है पानी का पनघट हम बन जायेंगे। युवा प्रेमी की ज्वाला हूं आशिकों का जमघट हम बन जाएंगे। अपने दिलों में भी इंतकाम तोलेगा दिल में जो उबाल हैं क्रांति का लहु खोलेगा। अगर शहादत से हम रहें ना रहे तो मेरे देश का बच्चा_बच्चा भी इन्कलाब बोलेगा। अपनी जान से भी ज्यादा तुझे माना था हमनें तुझे हमनें अपने खून से सींचा था। तेरे लिए जान हाज़िर रहती थी_ "तू हमारे दिल का बगीचा है।" तेरे लिए जो सोचा था हमनें अपनें मुल्क में रोए थे। ज़रा हमें भी याद कर लेना यारो_ "हम भी बारूद पर सोए थे।" हम जा रहें हैं इस जग से ऐसी फ़रियाद करेंगे। ऐसे वतन की कीर्ति लहराना यारों_ "जिसे दुनिया वाले भी याद करेंगे। नरेंद्र भाकुनी