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मनमोहक-मनभावन मनमोहन तेरे ना

Vipin Bansal 07 Sep 2023 कविताएँ धार्मिक 12051 0 Other :: Other

कविता = ( मनमोहक ) 

मनमोहक मनभावन मनमोहन तेरे नाम ! 
मन शीतल निर्मल हो जाए ! 
जो भज ले तेरा नाम ! 
हे माधव हे नंदलाल ! 
मुरली मनोहर, राधेश्याम ! 
हे गोविंद हे घनश्याम ! 
भव सागर से पार निकालें ! 
ऐसे पावन तेरे नाम ! 
मनमोहक मनभावन मनमोहन तेरे नाम ! 

जोगन बन गई महलों की रानी ! 
मीरा हो गई प्रेम दीवानी ! 
अमृत में बदला विष का प्याला ! 
रटती रही तेरे नाम की माला ! 
हे दामोदर हे गोपाल ! 
हे कृष्णा हे वेदांग ! 
वो करते हैं अमृतपान ! 
जो भजते हैं तेरे नाम ! 
मनमोहक मनभावन मनमोहन तेरे नाम ! 

खाकर प्रेम के तीन है दाने ! 
तीनों लोक लगे लूटाने ! 
शबरी देहरी आए राम ! 
झूठे बेर प्रेम का मान ! 
हे पुरूषोतम हे गोपाल ! 
देवकी नंदन, नंदगोपाल ! 
प्रेम के वश में है भगवान ! 
तुझसे जोड़ें तेरे नाम ! 
मनमोहक मनभावन मनमोहन तेरे नाम ! 

भरी सभा में तुझे पुकारा !  
चीर बढ़ा दिया सहारा ! 
इन्द्र का अभिमान डिगाया ! 
उंगली पे गोवर्धन है उठाया ! 
हे गोविंदा हे गिरधारी ! 
हे केशव, बांके बिहारी ! 
बाट निहारूं सुबह - शाम ! 
रोज भजूं मैं तेरे नाम ! 
मनमोहक मनभावन मनमोहन तेरे नाम ! 

विपिन बंसल

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