संदीप कुमार सिंह 26 Apr 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाजिक हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 6297 0 Hindi :: हिंदी
भूमिका श्रृंगार है अपने परिचय का, गदगद करने की कला है कवि का। भूमिका खुशबू है किसी विषय का, चांद जैसे सौम्य गुण है पेश करने का। भूमिका उगते सूरज की लालिमा है, खिलते चमन का जोशिला ताजगी है। भूमिका ही ज्ञान की अभिव्यक्ति है, समझ की सर्वश्रेष्ठ मधुर शैली है। भूमिका विद्वानों के दिलों का साज है, सभा के लिए शांतिदायक सकूं भी है। भूमिका का जीवन में विशेष महत्व है, किसी भी कथा का कशिश है। भूमिका सुन्दर दिन की शुरुआत है, अन्दर छिपे खजानों का आभास है। भूमिका अद्भुत मोतियों में गूंथा गहना है, जो सुनने वालों का तृप्त ऊर्जा है। भूमिका ही वाह_वाह की जोश है, शरीर के स्थिर पड़े उत्तकों का गर्मी है। संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....