REETA KUSHWAHA 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य मन चाहे चिड़िया हो जाऊं 45016 0 Hindi :: हिंदी
मन चाहे चिड़िया हो जाऊं दूर दूर नदियों में जाऊं शीतल अमृत में चोंच डुबोऊ स्वर्ण रेत पर ठुमक ठुमक इतराऊ मन चाहे चिड़िया हो जाऊं। दूर दूर पर्वत पर जाऊं बर्फीली चोटी पर बैठूं ठिठुरन से फिर पंख बुलाऊं मन चाहे चिड़िया हो जाऊं दूर दूर जंगल में जाऊं हरियाली चादर पर फुदकू डाली डाली पर छेद बनाऊ मन चाहे चिड़िया हो जाऊं। दूर दूर गगन में जाऊं खोल पंख अपने फैलाऊं तेज हवा के झोंको संग खुद व खुद उड़ती जाऊं मन चाहे चिड़िया हो जाऊं। दूर दूर अवशेष शेष महलों में जाऊं हर इक झरोखे पर बैठूं भूल रास्ता गर्दन फिर इधर उधर मटकाऊं मन चाहे चिड़िया हो जाऊं। दूर दूर दुनिया के कोने तक जाऊं कई अच्छे सारे दोस्त बनाऊं साथ में सबके चहचहाऊं मन चाहे चिड़िया हो जाऊं। लौट कर जब अपने घर आऊं बीती सारी बात बताऊं फुदक फुदक कर सबको दिखाऊं मन चाहे चिड़िया हो जाऊं। कुछ दिन रुककर अपने घर पर भरी हुई सारी थकान मिटाऊं संग झुंड को लेकर अपने फिर से दूर दूर उड़ जाऊं मन चाहे चिड़िया हो जाऊं। 🐦🐤रीता कुशवाहा 🐦🕊️🐤