मैं तुम्हेँ अपनी आदत नही बनाना चाहती
क्योंकि पता है मुझे हमारे रास्ते एक नही
हा नही करती मैं तुमसे बात
क्योंकि तुम्हे अपनी आदत नहीं बनाना चाहती
नादानी में मोहब्बत हो गयी तुमसे पर
समझदारी मुझे इसे निभाने की इजाजत नही देती
यकीन दिलाना चाहती हु तुम्हेँ
कि अब प्यार नही तुमसे
सोच लिया है कि अब दूर रहूगी तुमसे
पर कैसे रोकू खुद को
हर पल बस तुम्हारे ख्यालो मैं खोई रहती हु
और कहती हु कि प्यार नही तुमसे
दो तरफ़ा प्यार होते हुए भी जताना की प्यार नही तुमसे
इस दर्द के आगे तो
एक तरफ़ा प्यार का दर्द भी कम हैं |