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बेटी से बहु बनने तक का सफर

Tanvi saini 30 Mar 2023 कविताएँ देश-प्रेम Best poem 28288 0 Hindi :: हिंदी

        बेटी से बहु बनने तक का सफर 
बेटी से बहु बनने तक का सफर ,
      बहु से माँ बनने तक का सफर ,
पहले जो 7 बजे उठकर भी जल्दी उठना बताया करती थीं ,
       वो आज 4 बजे उठकर भी लेट हो जाया करती हैं,
पहले जो कुछ भी काम ना करके भी खुद को थका हुआ बताया करती थी ,
      आज वो पूरा दिन काम करके भी कामचोर कहलाया करती हैं ,
पहले जो गर्म चीज पर हाथ लग जाने से पूरा घर सिर पर उठा लिया करती थीं ,
      आज वो हाथ जल जाने पर भी खामोश हो जाया करती हैं ,
पहले जो एक छिपकली से डरकर चिल्लाया करती थीं, 
      आज वो हर आफत से अकेली लड़ जाया करती हैं ,
पहले जो हर वक्त पैसे खर्च किया करती थी ,
       आज वो हर पल पैसे बचाया करती हैं ,
पहले जो डांट खाने पर माँ के आँचल में छुप जाया करती थीं ,
      आज वो माँ की आवाज सुनने के लिए तरस जाया करती हैं ,
पहले जो पापा का प्यार पाने के लिए छोटी छोटी बातों पर रोया करती थी ,
       आज वो पापा का दुलार पाने के लिए तरस जाया करती हैं ,
पहले जो भाइयों के साथ बात बात पर लड़ा करती थीं , 
        आज वो भाइयों को देखने के लिए तरस जाया करती हैं ,
और कुछ नहीं ......बस पहले वो माँ पापा की बेटी कहलाया करती थीं ,
      आज वो सास ससुर की बहू कहलाया करती हैं 

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