Chanchal chauhan 22 Dec 2023 कहानियाँ समाजिक जीवन की कठिनाइयां 26973 0 Hindi :: हिंदी
एक आठ साल का लड़का था।जिसका नाम प्रदीप था।उसके पिता नहीं थे।उसकी मां थी। उसकी मां ने उसे पाला पोसा।उसकी मां उसे बहुत प्यार करती थी। उनकी थोड़ी सी जमीन थी।उसकी मां खेतों में काम करके अपना गुजारा करती थी। प्रदीप के जो ताई चाची थी।उसकी मां की मजाक बनाती थी। खेतों में काम करती हैं, लेकिन वह कुछ नहीं बोलती थी।उसे तो अपने बच्चें का पेट भरना था।उसकी देवरानी जेठानी दोनों के दो दो लड़के थे।वे चाहती थी ये यहां से चली जाये।इनकी जो जमीन हैं हमें मिल जाए। हमारे बच्चों के काम आयेगी। प्रदीप के ताऊ चाचा भी उसकी मां को घर गांव से निकालना चाहते थे। प्रदीप की मां सब सहती थी कितनी भी गाली परेशान करे उन्हें कुछ नहीं बोलती थी। हालात की मारी, किस्मत से लाचार अपने बच्चे को लेकर कहां जाती।पढ़ी लिखी भी नहीं थी,जो बाहर जाकर नौकरी कर सके। जैसे तैसे करके उसने अपने बच्चों को पाला।उसे स्कूल में पढ़ने भेजा। प्रदीप पढ़ने में होशियार था। स्कूल के मास्टर भी उसकी तारीफ करते थे।वह प्रायमरी स्कूल में पढ़ता था।उसकी मां के पास इतने पैसे नहीं थे उसे और अच्छे स्कूल में पढ़ा सके।वह प्रतिदिन स्कूल जाता था।उसकी मां घर और खेती दोनों का काम करती थी।उसने एक गाय भी पाल रखी थी वह उसकी सेवा भी करती थी।उसके बच्चा दूध पी सके। जैसे प्रदीप बड़ा होने लगा वह सब बातें समझने लगा।उसकी मां कितनी मेंहनत,काम करती हैं।कितने कष्टों से मुझे पाला।वह अपनी मां का हाथ काम में बंटाने लगा घर खेती दोनों का ।जब उसकी छुट्टी रहती थी । स्कूल से आकर शाम को काम कराता था।अब जब उसकी मां को उसके ताऊ ताई चाचा चाची कुछ कहते थे वह उसका विरोध करता था।वह तभी उनको जबाब दे देता था। प्रदीप ने इण्टर पास कर लिया।वह नौकरी के फार्म डालने लगा उसका नम्बर पुलिस लाइन में आ गया।वह पुलिस इंस्पेक्टर बन गया।उसकी मां को बहुत खुशी हुई।उनके परिवार के सब चिढ़ने लगे।अब तो बड़ा बन गया है।अब तो हम कुछ नहीं कह सकते।हमारा जमीन का सपना अधूरा रह गया। प्रदीप से डरने लगे । प्रदीप और उसकी मां को किसी बात की कमी नहीं रही।वह दोनों बहुत खुश रहने लगे। प्रदीप की एक साल बाद सादी हो गई।उसने एक गरीब लड़की से सादी की,वह पढ़ी लिखी अच्छी थी। उनका परिवार और खुशहाल हो गया।किसी के हालात बुरे हो उसके साथ बुरा नहीं करना चाहिए उसको सहारा देना चाहिए।वह तो पहले से ही दुखी होता हैं उसे और दिल नहीं दुखाना चाहिए।आज उसका पल्ला हल्का हैं कल भारी भी हो सकता हैं।समय एक जैसा नहीं होता।
Mera sapna tha apne bicharo ko logo tak phunchana unko jiwn ki sikh ,prerna dena unmai insaniyat jag...