संदीप कुमार सिंह 08 Jul 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी रोमांचित होंगें। 8094 0 Hindi :: हिंदी
मैं अगर भूल जाऊं, तो तुम याद दिला देना। जिन्दगी के सफर में, एक _ दूजे का साथ निभाना। उलझन भरी राहें हैं, कांटों सा सामने खड़ी दिवाल है। इसे पार कर निकलना है, अकेले हूं साथ तुम्हारा चाहता हूं। सपने हजारों हैं, इन सपनों के आप सभी नजारे हैं। दिल के अरमानों का, निकल रहा है जनाजा। ऐसे में प्यार का मरहम लगा जा। पाकर साथ तेरा, हो गया हूं और अधिक बावला। तेज चल रहा हूं, कभी गिर रहा हूं_कभी सम्हल रहा हूं। जख्म लिए राह तेरा देख रहा हूं, ऐसे में अपने हौंसलों की, दवा लगा जा। भूल जाता हूं, याद दिला देना। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....