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चली रही है तेज हवाएं आई-ऋतु बसन्त

Bholenath sharma 05 Feb 2024 कविताएँ समाजिक ऋतु बसन्त 9060 0 Hindi :: हिंदी

चली रही है तेज हवाएं आई ऋतु बसन्त की ।                                            
     गिर रहें भू में तरू पल्लव आई ऋतु बसन्त की ।                                              
 नव पल्लव आ गये विटप के वृंत पर ।
   खेतो में सरसों के फूलो पर                      
    गूंज रहै है मधु के स्वर ।    
      खेतो की मेढ़ी पर चलते                                                       
      सुनो इनके गुनगाते स्वर ।

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