Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

समझदारी से घाटा

Santosh kumar koli 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक समझदारी से घाटा 21964 0 Hindi :: हिंदी

दुनिया में, मरण समझदार का।
समझदार समझ से, समझ समझके समझ जाता है।
अरे, वह तो नकटा है,वह नकटाई से ही सुलझ जाता है।
अरे, तू तो समझदार है, वह समझदारी से ही उलझ जाता है।
समझदार तो, समझदारी की लोक- लाज से ही लज जाता है।
क्या होगा, समझदारी के तीमारदार का?
दुनिया में, मरण समझदार का।
नकटा- बूचा, सबसे ऊंचा, समझदार का जीना हराम।
समझदारी का मोल नहीं, राजा, रंक चाहे अवाम।
समझदारी समझकर सिमटी, नकटाई के कई आयाम।
आगे नाथ न पीछे जेवड़ा, समझदार के लगी लगाम।
राम रखवाला, समझदारी, नौका के मझधार का।
दुनिया में, मरण समझदार का।
समझदारी घाटे का सौदा, नहीं आ सकता ऊपरी पन्ना।
गंडेरी ही बंट आएगी, जब बंटेगा खेत में गन्ना।
हर जगह मात खाता, बन न सके सेठ धन्ना।
समझदारी की भभूत से, खुद को झोंक दिया अन्ना।
क्या होगा, इस समझदारी कर्ज़दार का?
दुनिया में, मरण समझदार का।

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: