Jitendra Sharma 15 May 2023 कविताएँ दुःखद मुझे अंधियारों में कहीं खोने दो।, दुस्मन को मीत माना है मैंने। , 13162 1 5 Hindi :: हिंदी
कविता- मुझे अंधियारों में कहीं खोने दो। दिनांक- 15/05/2023 दीपक बुझा दो कि रात होने दो, मुझे अंधियारों में कहीं खोने दो। टूट गया हूं अपनो की बेवफाई से, मुझे ग़म के आगोश में ही सोने दो। ये सब किससे कहूं ए जिन्दगी, और ये कब तक सहूं ए जिन्दगी। जब अपना आशियाना ही न रहा, तू ही बता कहां पर रहूं ए जिन्दगी। हर बार हार को भी जीत माना है मैंने, उनकी गालियों को गीत माना है मैंने। भरोसा उठ गया हैं अब तो भरोसे से भी, सदा अपने दुस्मन को मीत माना है मैने। गम क्या है ये न जाना तेरे आने से पहले, आह सुनी तक न थी तुझे पाने से पहले। ज़िंदगी इक बार फिर से मुस्कराएगी, यह कभी सोचा न था तेरे जाने से पहले।।
10 months ago