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सुनसान जगह-मैं जिस जगह पे रहता था

पिन्दु कुमार 13 Oct 2023 कविताएँ दुःखद सुनसान जगह 5482 0 Hindi :: हिंदी

मैं जिस जगह पे, रहता था ।
वहाँ न कोई आता - जाता ।
चारों तरफ जो, थी सूखी नदियाँ
न था उसमें थोड़ा सा भी पानी
खेत - खलिहानों में फसलें न थी ।
पड़े रहते थे, उसमें दरारें
हरियाली का मंजर न था ।
न पक्षियों की देती थी -
चहचहाट की सुनाई
न सुबह सवेरे वांग देता मुर्गा
टूटी . फूटी वो जो सड़कें थी।
उसमें था बड़ा -बड़ा सा गड्डा
बरसा के दिनों में,
भर जाता था उसमें पानी
आने - जाने में करना पड़ता -
मुश्किलें का सामना
  

युवा लेखक -
 पिन्टु कुमार

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