संदीप कुमार सिंह 28 Aug 2023 कविताएँ धार्मिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 15263 0 Hindi :: हिंदी
मर्यादा पुरुषोत्तम राम मानवता के प्रतिक हैं, ब्रह्मांड में अद्वितीय विशुद्ध जीवन शैली हैं। कण _कण में विराजने वाले राम ही हैं, परन्तु स्वभाव से अनुपम विनम्र भी खूब हैं। धर्म ध्वज के रक्षक राम पालन हार हैं, देवता ये त्याग के बेमिसाल रूप हैं। मानवों के कल्याणार्थ अवतरित हुए थे, जिसेसे मानव आज भी आनंदित रहते हैं। न्याय के परम् पूज्य मूर्ति राम जी हैं, कर्म करने ये भी धरा पर कष्ट सहे हैं। प्रजा के हित के लिए सदा तत्पर रहें हैं, अपने सु:ख को भी कुर्बान करने से डरे नहीं। राम तो सांस _सांस में बसे हैं, सृष्टि में भी वही प्रवाहित होते हैं। राम _राज्य की कल्पना आज भी, एक सुखद अनुभूति प्रदान करते हैं। राम जेसे और कोई नहीं, राम ही नैया पार लगाने वाले हैं। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....