Abhinav chaturvedi 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक Abhinav chaturvedi 12980 0 Hindi :: हिंदी
माँ - बाप के प्यारे वरदान,हम नन्हे हैं घरवालों के जान। जिन्होंने हमको है पाला, दिया गलत-सही का ज्ञान। उन जन्मदाताओं का मुझ पर ये उपकार है- दोनों हाँथ जोड़ सदा मेरा उनको प्रणाम है। दिये हरदम ज्ञान की ज्योति, पहनने को कपड़ा खाने को रोटी। ये उनका हमपर सचमुच उपकार है- सचमुच माँ - बाप इंसान के रूप में भगवान हैं। उन हर ममता भरे हांथों से, कई तरह के पकवान खाये हैं। "जुग-जुग जिए लाल मेरा" जैसे कई आशीर्वाद पाए हैं। हर उन आशीर्वादों के दम पर बहुत कुछ करना बाकी है। जन्मदाताओं के बारे में लिखूंगा, जब तक कलम में स्याही है, कुछ बनकर दिखाने की अब हमारी बारी है।