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काल पिशाचिनी भाग 2

भूपेंद्र सिंह 25 Jan 2024 कहानियाँ अन्य भूतिया, डरावनी, हॉरर, दिल दहला देने वाली कहानी 7745 0 Hindi :: हिंदी

कहानी
       काल पिशाचिनी भाग 2

अजीत सिंह को होश आया और उसका सारा शरीर खून से लथपथ था। उसे अपने सर में अतयदिक गर्माहट महसूस हो रही थी। उसने अपने बगल में नजर दौड़ाई तो उसका दोस्त मुकेश कुमार खून से लथपथ बेजान सा लेटा पड़ा था। शायद वो मर गया था। ये देखकर अजीत सिंह के दिल धड़कने पूरी तरह से रुक सी गई।
उसने मुकेश के सांसें चेक की लेकिन अफसोस की उसकी सांसे रुक गई थी वो मर चुका था। ये देखकर अजीत सिंह की आंखों से आंसू निकल पड़े।
तभी एक और से अजीत के कानों में कोई आवाज सुनाई दी उसने डरते हुए अपने बगल में नजर दौड़ाई तो कुछ झाड़ियों के पीछे उसकी बहन शालिनी खड़ी थी और उसे आवाज दे रही थी। इतनी सुनसान, भयानक और खूंखार जानलेवा रात में अजीत सिंह अपनी बहन को वहां पर देखकर हक्का बक्का रह गया और पूरी तरह से पसीने से भीग गया। अजीत डरते हुए कंपकंपाते हुए शरीर के साथ जीप से बाहर निकला लेकिन उसके हाथ पैर सब बुरी तरह टूट चुके थे इसलिए जीप से बाहर निकलते ही वो धड़ाम से वहीं पर गिर गया। 
तभी शालिनी की आवाज उसके कानों में आई " भईया मैं जहां हूं आप ठीक तो है ना? मेरे पास आइए।" 
अपनी बहन की आवाज सुनकर अजीत सिंह के कलेजे में जान आ गई। अजीत ने खुद को संभाला और धीरे धीरे अपने कदम अपनी बहन की और जंगल में बढ़ा दिए लेकिन अजीत के कानों में मुकेश की वो एक ही बात गूंज रही थी की " इस रास्ते पर कोई रुक नहीं सकता और अगर कोई गलती से भी रुक गया तो समझो वो मर गया।"
अजीत सिंह ने अपनी बहन की और कुछ तेजी से कदम बढ़ाए लेकिन शालिनी अंदर जंगल में जाने लग गई।
अजीत ने अपना हाथ उसकी और बढ़ाते हुए आवाज दी " शालिनी कहां जा रही हो?"
शालिनी रूकी और बिना पलटे बहुत ही डरावनी सी आवाज में बोली " जहां सवाल पूछना मना है। चुपचाप मेरे पीछे आयो।"
ये सुनकर अजीत भी घबरा सा गया लेकिन उसने जैसे तैसे करके खुद पर काबू किया और अपनी बहन के पीछे जंगल में कदम बढ़ा दिए।
उसकी बहन एक पेड़ के पास जाकर खड़ी हो गई। उसके बिलकुल सामने पेड़ से एक लंबी सी रस्सी नीचे की और लटक रही थी और जमीन पर पड़ी थी। ऐसे लग रहा था जैसे की किसी ने जाल बिछाया हो।
अजीत ने शालिनी के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा " शालिनी इतनी रात को तुम जहां क्या कर रही हो।"
शालिनी ने अपना मुंह पीछे घुमाया और अजीत की एक जोरदार चीख निकल गई और वो धड़ाम से जमीन पर जा गिरा क्योंकि उसके सामने उसकी बहन नहीं बल्कि काल पिशाचीनी खड़ी थी। पूरी तरह से सफेद आंखे, गहरा काला डरावना चेहरा, बड़े बड़े खून से लथपथ लाल लाल नाखून, बड़े बड़े डरावने दांत। अजीत का दिल उछलकर उसके मुंह में आ गया था।
काल पिशाचिनी बहुत ही भयानक और ऊंची डरावनी आवाज में - " क्या कह रहे थे तुम की तुम्हें काल पिशाचिनी से डर नहीं लगता। अब क्या हुआ? मरने के लिए तैयार हो जाओ।"
अजीत के तो मुंह से आवाज भी नहीं निकल पा रही थी। उसका दिल जोर जोर से धक धक कर रहा था मानो की वो अभी फट जायेगा। अजीत ने डरते हुए अपने कदम गसीटने लगा लेकिन वो रस्सी में अपना पैर फंसा बैठा और उलटा लटक गया। उसकी आंखों के सामने काल पिशाचिनी का चेहरा था जिससे मांस की गंदी दुर्गन्ध आ रही थी। काल पिशाचिनी के चेहरे से खून टपक रहा था और उसका मुंह खून से लथपथ था जिससे लारें टपक रही थी।
अजीत की एक जोरदार चीख निकल गई। लेकिन कुछ भी घटित नहीं हुआ। काल पिशाचिनी अभी भी लालायित नजरों से अजीत को देख रही थी। 
और फिर एक ही झटके में काल पिशाचिनी ने अपने दोनों हाथों से अजीत का मुंह पकड़ लिया और जोर जोर से पागलों की तरह हंसने लगी। काल पिशाचनी के नाखून अजीत के चेहरे के अंदर घुस गए थे और उसका चेहरा पूरी तरह से फट गया था और जमीन पर खून ऐसे गिर रहा था जैसे की कोई खून की बरसात हो रही हो।
अजीत सिंह दर्द से कराह रहा था वो चीखना चाहता था लेकिन काली डायन काल पिशाचिनी ने उसे इतना कसकर पकड़ रखा था की उसके मुंह से आवाज भी नहीं निकल रही थी।
इतने में काल पिशाचिनी ने अजीत का सर उसके शरीर से अलग कर दिया और एक जोरदार चीख उस सुनसान रात में आसमान में गूंजने लगी। काल पिशाचनी उसके सर को कच्चा ही खा गई।

" अरे हुआ क्या है? अचानक से ब्रेक क्यों लगा दिए। अजीत तुम ठीक तो हो क्या? मैं गाड़ी ड्राइव करूं क्या? तुम इस तरह इतनी जोर से क्यों चिलाए , मैने तुम्हे समझाया था ना की चाहे कुछ भी हो जाए गाड़ी मत रोकना। अजीत होश में आओ। आर यू ओके।" मुकेश की आवाजें बार बार अजीत के कानों में गूंज रही थी।
अजीत अचानक से होश में आया और उसने चारों और नज़र दौड़ा दी। मुकेश उसके पास जिंदा बैठा था। उनकी जीप भूतिया टर्न पर खड़ी थी जहां पर अजीत ने जीप के ब्रेक लगाए थे। अजीत के सर में मामूली सी चोट आई थी क्योंकि उसका सर स्टीरिंग व्हील से टकरा गया था।
अजीत हैरानी से - " मुकेश मुकेश.... तुम जिंदा हो? तुम तो मर गए थे ना?"
मुकेश - " अजीत तूं पागल हो गया है क्या? मुझे क्या हुआ है। तुझे क्या हो गया है?
अजीत - " हम कहां है?"
मुकेश - " हम इस वक्त जंगल की कच्ची सड़क पर है। हम दोनों काल पिशाचिनी की बातें कर रहे थे और फिर तूने अचानक से गाड़ी के ब्रेक लगा दिए। तेरा सर स्टरिंग वाहिल से जा टकराया। तूं पिछले आधे घंटे से बेहोश पड़ा है। मैं तुझे कब से उठाने की कोशिश कर रहा हूं लेकिन तूं उठा ही नहीं। हुआ क्या ? तूं इतना जोर से क्यों चिलाया था?"
अजीत अपना पसीना पोंछलकर लंबी सांस भरते हुए बोला " भगवान का लाख लाख शुक्र है की ये सिर्फ एक सपना था हकीकत नहीं। बाप रे क्या डरावना सपना था?"
मुकेश हैरानी से - " तूं इतनी देर से सपना देख रहा था।"
अजीत - " मैने सपने में काल पिशाचिनी को देखा।"
इतना कहकर अजीत ने अपना सारा सपना मुकेश को सुना दिया।
मुकेश - " यार सपना तो वाकई डरावना था। इतनी बड़ी चीख तो बनती ही है। मुझे गाड़ी चलाने दे। अगर काल पिशाचिनी के इलाके में कुछ देर और रुके ना तो तेरा सपना सच में सच हो जायेगा। "
अजीत चुपचाप ड्राइविंग सीट से खड़ा हो गया। मुकेश गाड़ी चलाने लगा। जंगल में से उल्लुओं के रोने की आवाज आ रही थी जो की अजीत के दिल को अंदर से खाए जा रही थी।।।

To be continue.....।
✍️ भूपेंद्र सिंह रामगढ़िया।।।।।।।।

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