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परमानंद के आगोश में था

मोती लाल साहु 12 May 2023 शायरी समाजिक मैं परमानंद के आगोश में था, जीवन की धारा में- बहता गया कुछ इस तरह से बहता चला गया-इस जहां में छलकते जाम- अमृत रस से भरे पड़े थे। 8647 0 Hindi :: हिंदी

जीवन की-
धारा में बहता गया,,
 
कुछ इस- 
तरह से बहता चला गया,
उस जहां में छलकते जाम
अमृत रस से भरे पड़े थे मैं 
परमानंद के आगोश में था..!!
-मोती

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