संदीप कुमार सिंह 07 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4198 0 Hindi :: हिंदी
(दोहा छंद) आया है खुशियां सभी, हो बधाई अपार। जीवन में हो सब खुशी, प्यार मिले बौछार।। फूलों सा घर आपका, मधुर लगे व्यवहार। आप गुणों के खान हैं, सुन्दर खूब विचार।। शादी की स्वर्णिम घड़ी, का, मैं दूं उपहार। तारों सा जगमग रहें, आप, फले परिवार।। हसीन जीवन आपका, अनुपम सुन्दर राग। शुद्ध साफ है धारणा, गलत का किया त्याग।। प्यार भरा पहचान है, ज्ञान वान हैं आप। खास किरदार आपका, फैले जगत प्रताप।। भेज रहा हूं फूल भर, के, लिफाफा अनूप। खुशी हाथ से खोलना, गमके गुलाब रूप।। मिले अरमान सब यहां, सजी जिन्दगी साज। हृदय मजबूत हो तभी, फूलों सा हो आज।। (स्वरचित मौलिक) में संदीप कुमार सिंह ✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....