Baba ji dikoli 02 May 2023 कविताएँ देश-प्रेम Kaveeta /khani/deshbhakti/deshpremi 6151 0 Hindi :: हिंदी
ये भारत वर्ष है यारो इसने कुर्बानी देखि भगत सिंह की फाँसी और लक्ष्मीबाई मर्दानी देखी देखि इसने मुगलो की टोपे और बंदूके भी फिर खनक उठी तलवारे राजपूती शमशीरो से भी रानी दुर्गावती के स्वाभिमान पर आँच जब आई खड़ा हो गया एकलिंग वरदानी भाई यहाँ की नारियां भी कुछ कम न थी भाई नाम था उनका पद,मनी बाई मृत्यु की देवी भी थी कुछ छड़ घबराई जब जौहर की स्वाभिमानी घड़ी थी आई वो मृत्यु से किंचित न घबराई था मुख पर जय भवानी माई जय भवानी माई................। फिर अश्वो ने भी अपनी भूमिका दिखलाई चेतक नाम था उसका मेरे भाई अपनी अद्धभुत कलाओं से थी आश्वो की पहचान बनाई इतिहासः में उसने फिर स्वर्णिम जगह थी पाई उसी समय फिर भक्तो की बारी थी आई थी जिसमे सर्वश्रेष्ट थी मीरा बाई फिर तुलसी दास द्वारा रामचरित मानस की रचना की गयी वाणी को विराम... लेखक✍️✍️ @baba ji dikoli