janak nandani 29 Aug 2023 कविताएँ अन्य 13798 0 Hindi :: हिंदी
मैने आसमान मेँं एक उड़ते पतंग को देखा l क्यों ना मैँं भी ऊपर जाऊँँ ये मैने उससे सिखा ll ये सोचकर मैने अपने कदमोँं को बढ़ाया तब तक एक कंकड़ ने आकर मेरे पैरों से टकराया ll ठेस लगी मुझे जब उससे मैने उसे उठा कर फ़ेका l क्यों ना मै भी ................ उसको उड़ते देखकर अपने दामन से उसको रोका. लेकिन तब तक खिंच लिया उसे हवा का झोका. ll मैँं चल सकती थी पर मुझे.उड़ना नहीं आता l क्या करूँं कैसे चलुँं कुछ समझ नहीं मुँँझे आता ll मेरे मन की एक बात मैँं उड़ना भी जो चाहुँ l लेकिन उससे पहले मै परियों को बुलाकर लाऊँं ll परियों के आ जाने पर उनके कला को मैने देखा क्यों ना मै भी .......