नीतू सिंह वसुंधरा 03 Oct 2023 कविताएँ समाजिक नीतू सिंह वसुंधरा 21908 0 Hindi :: हिंदी
बेटियों की राह मैं बेटी हूं यह मेरा गुनाह है, सरल नहीं मेरी राह है, मेरी भी तो कुछ चाह है, अंधेरे में मेरा कल है, रब कर दे इस मुश्किल का हल, जो नहीं सरल है। बेटे सर का तक है, देश पर करते राज है। राह उनकी सरल है, तब बेटियों का क्यों अंधेरे में कल है, सबको लगती बोझ है, रब को इस पर खेद है, क्यों करते लोग मतभेद हैं, लड़कियां देश की आन है, मान ,सम्मान ,प्रतिष्ठा की पहचान है। लड़कियां ही तो शक्ति हैं, घर की वे लक्ष्मी है, सब करते उनकी भक्ति हैं, फिर क्यों ये मतभेद है, रब को इस पर खेद है।