संदीप कुमार सिंह 05 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4028 0 Hindi :: हिंदी
(मुक्तक छंद) कलाकार वो खूब,रहे जिसमें दृढ़ मस्ती। जाऊं उसमें डूब,मगर डूबे मत कस्ती। रखूं जिया में लाज,रहूं दुनिया में मिलके_ संगी दुश्मन संग,बनूं दृढ़ अनुपम हस्ती। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....