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जिन्दा हु यही काफी है ।।

धर्मपाल सावनेर 30 Mar 2023 शायरी दुःखद टूटे #बिखेरे #हुए # लोगो के लिए बोहोत सुंदर शायरी।। 7273 0 Hindi :: हिंदी

ए खुदा  सरासर  ये कैसी  ना इंसाफी है
बेगुनाह को सजा कसूरवॉर को माफी है ।।

पल पल नही मरना मुझे जिंदा रहकर 
उम्र कैद से तो कई अच्छी है फांसी है ।।

क्या गुजर रही है ये मत पूछो मुझसे 
अभी तक जिंदा हु यही बोहोत काफी है ।।
 
धरम सिंग राजपूत
8109708044




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