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अपनी संस्कृति और ससकर

Official Arjun Panchariya 02 May 2023 आलेख धार्मिक अपनी संस्कृति और ससकर by Arjun Sharma , pandit4517_ 6085 0 Hindi :: हिंदी

जय श्री परशुराम 🙏आप सभी का हार्दिक स्वागत अभिन्नदन,,,बन्धुओ बहुत ही विचारणीय प्रश्न है कि क्या सविधान या कानून को ये हक होना चाहिए कि वो किसी की अंतरात्मा को मार सके,किसी के संस्कार संस्कृतिति,भावनाओ ,सम्मान को खत्म कर सके,,आज के मेरे विचार इसी बात पर आधारित है ,जब किसी माता पिता के घर कोई संतान जन्म लेती है तो उस घर मे एक नई तरह की खुशिया के साथ नई चहचाहट शुरू हो जाती है,उन माता पिता की खुशिया हजारों गुना बढ़ जाती है,माता पिता अपनी संतान को लेकर उसके भविष्य को लेकर नित नई योजनाएं अपनी सन्तान के लिए बनाते है,सर्दी गर्मी बरसात व न जाने कितनी तरह की तकलीफे देख कर कष्टो को सहकर माता पिता अपनी संतान को काबिल बनाने का भरपूर प्रयास करते है ,परन्तु फिर एक दिन वही सन्तान पल भर के क्षणिक मोह के खातिर अपने माता पिता ,परिजन ,बन्धुओ को पहचानने से भी इंकार कर देती है और इस महापाप में उस सन्तान का साथ देता है हमारा सविधान हमारा कानून ,हमारा महिला आयोग,,आज मेरा प्रश्न उसी कानून से है क्या सचमुच 18 वर्ष में सन्तान इतनी काबिल ओर समझदार हो जाती है क्या की वो स्वम का बुरा भला सोच सके,क्या महिला आयोग को ये सही में अधिकार है कि वो उसे स्वतंत्र कर दे क्या महिला आयोग व कानून इस बात की लिखित में गारंटी दे सकता है कि माता पिता परिजनों से सम्बन्ध खत्म कर देने के बाद वो सन्तान सुरक्षित हाथों में है या उसका भविष्य सुरक्षित और उज्ज्वल है,वही मेरा सवाल मेरे उन एडवोकेट्स बन्धुओ से भी है ,में जानता हूं कि ये आपका पेशा है आपका काम है परन्तु एक बार आप भी जब ऐसी युवतियों के पक्ष में जाकर खड़े होते हो तो अपनी अन्तरात्मा से जरूर मिलकर जाया कीजिये,,एक बार स्वम को उन माता पिता परिजनों के स्थान पर रख कर सोचा कीजिये,,उनके मन के दुख उनकी पीड़ाओं को महसूस किया कीजिये,,में लाखन सिंह ऐसे सविधान ओर कानून में परिवर्तन की मांग करता हु जो घर की इज्जत ओर मान सम्मान को चौराहे पर लूट जाने दे रहा है,,अगर कोई भी सन्तान अपने माता पिता परिजन के विरुद्ध जाकर कोई अनैतिक कदम उठाती है तो माता पिता को ये अधिकार होना चाहिए कि जिस दिन से वो सन्तान माता के गर्भ में अंश रूप ग्रहण करते है उसी दिन से लेकर उसके जन्म ,उसकी दवा दारू उसकी शिक्षा दीक्षा लालन पालन इत्यादि का पूरा हिसाब किताब मिलाया जाए जो रातों को कष्ठ सहकर सन्तानो को पालते है उनकी भी कीमत आंकी जाए जब सन्तान को कानून ओर महिला आयोग ये अधिकार दे सकता है कि वो स्वतंत्र होकर कही भी किसी के भी साथ जा सकती है तो माता पिता को ये अधिकार हो कि वो उस सन्तान से उसके लालन पालन और उसकी देखभाल करने का पूरा दर्जा खर्चा वसूल कर सके और वो कम से कम एक करोड़ रुपये हो ,ओर ये रकम वो स्वम सन्तान या वो जिसके साथ वो जाना चाहती है वो पीड़ित ओर दुखी माता पिता को दी जाए ,कानून में ऐसा बदलाव हो,,अभी मेरे सामने ऐसी ही एक दुखद घटना आई तो मन को बहुत पीड़ा हुई ,ईश्वर ऐसे दिन किसी माता पिता को न दिखाए,, आज समय की मांग और माहौल ऐसा हो गया है कि हम चाहकर भी कुछ नही कर पा रहे है इस लिए सबसे बेहतर है कि हम समय पर सन्तानो की शादियां कर दे ,ताकि मान सम्मान बना रहे ,,ये लेख मेरे निजी विचार है किसी को पीड़ा या दुख देने के लिए नही है लेकिन सभी को विचार करने के लिए जरूर है ,,,जय हिन्द आपका अपना किशन श्रोत्रिय

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