Baba ji dikoli 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक बेटी सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित सम्मलेन समाज सुधार 10284 0 Hindi :: हिंदी
जब एक बेटी जन्म लेती है अपनी बाल लीलाओ से सभी को हर्षित कर देती है । बेटो से कहाँ बेटी कम होती है, हमारे बुन्देलखण्ड में बेटी को देवी कहते है विन बेटी के घर सूने रहते है। बेटी के घर आने से घर में खुशहाली आती है एक बेटी अपने बाप की आन -बान बन जाती है एक बेटी ही है जो घर को सजती है ,किसी के घर की मर्यादा बन जाती है एक नारी के वेश में बेटी घर की लक्ष्मी बन जाती है ।पति प्राणों की रक्षा में वो स्वयं यमराज से लड़ जाती है । फिर क्यों आज बेटी के आने पर माँ बाप की मुश्कान चली जाती है फिर क्यों आज बेटियो पर ऊँगली उठाई जाती है एक बेटी ही थी जो सती अंशुईया बन जाती है त्रिदेवो को पालने में खिलाती है एक बेटी ही माँ के कर्त्तव्य निभाती है फिर बेटी पर ही क्यों तुम्हारी गन्दी नजरे जाती है एक बेटी ही भाई की कलाई सजाती है फिर बही बेटी दहेज़ के लिए जलाई जाती है क्यों बेटी से ही रोटी बनबाई जाती है।क्यों बेटी ही विदाई जाती है फिर महिलाओं को भी यह बात समझ नही आती है बो भी बेटा ही चाहती है। बिन बेटी जग कल्याण नही होगा ,विन बेटी सृस्टि निर्माण नही होगा यह बात समझ नही आती है।, जब एक बेटी जन्म लेती है तो क्यों सबकी मुश्कान चली जाती है। @baba ji dikoli