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सच नाम सुन्ने में अच्छा लगता है

Pinky Kumar 03 Apr 2023 आलेख समाजिक 7172 0 Hindi :: हिंदी

सच = )

सच नाम सुन्ने में अच्छा लगता पर बोलता कौन - कौन पता नहीं नहीं मनुष्य के हिसाब से कहूँ तो हम सब सच बोलते हमने कभी झुठ बोला ही नहीं हमारी सारी पिढ़ीया सच बोलते हा रहीं है। तो हम झुठ बोल ही नहीं सकते चलों यह थी मजाक कि बात सच शब्द का अर्थ अपने आपमें एक पवित्रता दर्शाता है। सच माने क्या कुछ गलत होने से रोकना चाहें जो भी हो जाये झुठ को नहीं मानना गलत के खिलाफ आवाज उठाना और सच का साथ देना हमारे देश के राष्टपिता महात्मा गाँधी जिन्होंने ने अपना सम्पूर्ण जिवन सच के नाम सर्मित कर दिया सच का साथ देकर ना जाने कितने आंदोलन किये और ना जाने कितनी बार जेल गये सच था कि गलत का साथ दूंगा नहीं सच चाहें मेरी जान लेले पर गलत का साथ नहीं दूंगा झूठ का साथ नहीं दुंगा रानी लक्ष्मी बाई जिन्होंने सच के लियें अंग्रेजो से लोहा लिया और सच का साथ देकर अमर हो गयी डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जिन्होंने सच का साथ दिया और भारतीय संविधान के जंनक है। जिन्होंने भेद - भाव ऊच - निच सामाजिक भेद भाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी सच के लिये लड़े आज भी अमर है। चंद्रशेखर आजाद जिन्होंने गलत को नहीं अपनाया और सच का साथ दिया ऐसे तम्मा लोग है जो अपने देश के लिये देश कि भलाई के लिये सच का साथ दिया और अमर हो गयें सच नाम लिखने में भले छोटा हो पर इसका अर्थ अपने आपमें बहोत बड़ा है। पर आज के समय में जब निव ही झूठ कि रखी जाये तो देश कि क्या हालत होगी हम हर दिन हमारे जिवन में कुछ ना कुछ किसी के साथ या अपने साथ ही गलत हुआ देखते है। और हम सहज ही उसे स्विकार कर लेते है। जैसे कि हमारे देश में धर्म के लियें किसी कि हत्या करदी जाती है। और हम सिर्फ अफसोस करके रह जाते है। यह अपने आप में बहोत बड़ी बात है कि धर्म के नाम पर या श्री राम ना बोलने पर किसी कि हत्या करदी जाती है। और बलात्कार जैसे अपराध कि बात करे तो हम वा पर भी अफसोस करके रह जाते है। किसी किसान के द्वारा आत्महत्या कर लेना हम वहाँ पर भी अफसोस करके रह जाते हैं। किसी कि कुछ पैसों के लिये हत्या कर देना हम वहाँ पर भी अफसोस करते है। मंहगाई बढ़ रहीं है। क्यों बढ़ रही पता नहीं सरकार से कौन पुछे अफसोस करेगे भईया हमारी  चुपी ही यह बताती है। कि हम गलत और झूठ का साथ दे रहे है। और देश में युही झूठ और गलत यूही फैलेगा जब तक हम अफसोस करना नहीं छोड़ेगे जिस दिन अपने आपसे पूछेगी में क्यों सहन कर रहा हूँ आखिर क्यों कब तक मेरी बहन है में भी किसी धर्म का हूँ सच का साथ दो जितना हो सके चुपी मत साधों हमारी चुपी झूठ और गलत को बढ़ावा देती है।

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