Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

गिरधर गोपाल

Kedaramin 30 Mar 2023 कहानियाँ धार्मिक भगवान श्री राधा कृष्ण के भक्त की बनती बिगड़ती इज्जत की कहानी 50852 0 Hindi :: हिंदी

जय श्री राधेकृष्ण  पेज-1.                   ,           ,,गिरधर ,,    
लेखक- केदार अमीन                  ,
(log line) भगवान् श्री राधा कृष्ण के भक्त की बनती बिगड़ती इज्जत की कहानी। 
(synopsis) गिरधर एक कृष्ण भक्त बीस बरस का फौजी जवान है।एक दिन वह अपने गांव के मंदिर में अपनी पत्नी राधा के साथ अपने इष्ट देव श्रीराधा कृष्ण की प्रतिमा के सामने कुछ चमत्कारी शक्ति दिखाने के लिए प्रार्थना करता है। जिसके तहत कुछ समय बाद गिरधर तो उस समय अपनी सैना में  ड्यूटी पर तैनात है लेकिन उसका पिता उसकी अनुपस्थिति में उसकी पत्नी राधा को उसके मायके से लिवाने के लिए जाता है। मायके से विदा होने से पहले राधा, अपने इष्ट भगवान् राधा कृष्ण की पूजा अर्चना में कुछ समय के लिए व्यस्त हो जाती है। उधर माता राधा देवी अपनी चमकारी शक्ति  दिखाने के उद्देश्य से अपनी भक्त राधा का रूप रखकर उसके ससुर के साथ उसके ससुराल पहुंच जाती है। उधर गिरधर के पिता के दुश्मन जगराम ने जब यह देखा कि गिरधर तो काफी समय से अपने घर नहीं आया है तो उसने इसका लाभ उठाते  हुए अपने घर में पैदा हुए अपने मृतक नाती को छुपकर गिरधर के घर यानी राधा के पास डाल दिया। कुछ समय बाद मृतक बच्चा जीवित हो जाता है। जिसके कारण राधा के साथ रह रहे गिरधर का परिवार बदनाम होने लगता है। गिरधर का पिता इस सम्वन्ध में अपनी इजत बचाने के लिए अपने दुश्मन जगराम से सहायता मांगता है लेकिन जगराम उसको आस्वासन देकर मदद करने के बजाय पंचायत जोड़कर यह दिखाकर बदनाम करना चाहता है कि राधा ने गिरधर की अनुपस्थिती में किसी अन्य से सबंन्ध बनाकर बच्चा पैदाकर लिया है। लेकिन उसी दौरान पंचायत में भगवान् श्रीकृष्ण ने गिरधर के रूप में उसके घर से निकल कर यह दिखा दिया कि गिरधर समय-समय पर अपने घर छुपकर आता जाता रहता है। तदोपरांत उसी समय गिरधर भी अपनी ड्यूटी से वहांआ जाता है। जिसे देख लोग आश्चर्यचकित होते हुए इसे एक चमत्कार कहने लगते हैं। 
पात्र परिचय-गिरधर एवं राधा- पति पत्नी,, श्याम बिहारी-गिरधर का पिता,, राधारमण- राधा का पिता,, जगराम -गिरधर के पिता का दुश्मन,, सुशीला- जगराम की पुत्रवधू,, गुपाल-सुशीला का पुत्र एवं जगराम का नाती,,
(Script)- भारतीय थल सैना के सैनिक क्षेत्र में कुछ सैनिक अपने मंदिर पर कीर्तन करने के बाद, अपने साथी गिरधर से उसके गॉव में हुई एक अद्भुत घटना के बारे में प्रश्न करते हैं जिसके बारे में गिरधर ने अपने साथी सैनिकों को बताया कि-
    गिरधर एक साधारण परिवार में जीवन यापन करने वाला भारतीय थल सैना का 20 वर्ष का फौजी जवान एवं उसकी हम उम्र पत्नी राधा दोनों ही भगवान् श्री राधा कृष्ण की भक्ति में मग्न रहा करते थे।
  एक दिन राधा का पिता राधारमण राधा को उसकी सुसराल से लिवाने के लिए आता है।उस समय गिरधर अपनी पत्नी राधा तथा ससुर राधारमण को साथ लेकर गॉव के ही मंदिर में पत्नी राधा के साथ, अपने इष्ट श्रीराधा कृष्ण के दर्शन करके,राधा कृष्ण की प्रतिमा से विनय करता है कि,, भगवन् वृंदावन में तो आपने खूव राशलीला रचाई ,क्या हम आपकी कुछ चमत्कारी लीला देखने के अधिकारी नहीं हैं,,। गिरधर ऐसा कह अपनी पत्नी राधा को उसके पिता राधारमण के साथ उसके माइके को विदाकर स्वयं अपनी ड्यूटी पर सैना में चला जाता है। 
उधर गिरधर को अपनी ड्यूटी के दौरान एक सैनिक मंदिर पर, मंदिर का पुजारी बना दिया जाता है। जहॉ वह कुछ सैनिक लोगों को सुबह शाम कीर्तन कराया करता। 
इधर कुछ दिन बाद गिरधर का पिता श्यामविहारी, उसकी पत्नी राधा को उसके मायके से लिवाने के लिए जाता है। उस समय राधा के माइके वाले उसके ससुर श्यामवहारी से गावं से बाहर अपना रथ खड़ा कर राधा का इंतजार करने के लिए कह देते हैं। राधा के मायके वालों के अनुसार राधा का ससुर अपने रथ को लेकर, गांव से बाहर राधा के आने का इंतजार करता है। इधर राधा अपने घर मेंं ससुराल जाने से पहले अपने इष्ट श्रीराधाकृष्ण की पूजा-अर्चना करने में कुछ समय के लिए व्यस्त हो जाती है। उधर गांव से बाहर रथ लेकर खड़े राधा के ससुर श्यामविहारी के पास, माता राधारानी देवी, कुछ सहेलियों के साथ आकर सहेलियों से बिदा ले रथ में बैठ जाती है और सहेलियों के कहने पर, राधा को ससुराल के लिए बिदाकरा दिया जाता है। माता राधा देवी उस श्यामविहारी के साथ गिरधर के घर आ जाती है। 
इधर गिरधर की पत्नी राधा, अपने मायके के घर में अपनी पूजा अर्चना कर, अपने परिवार व सहेलियों के साथ, वहां इतजार में खड़े अपने ससुर के पास पहुंचती है तो वहां ससुर श्यामविहारी रथ लेकर राधा को बिदा कराकर, लेजाया हुआ बताया जाता है। उधर उपस्थित लोग वहां राधा को आया देख अचंभित होते हुए राधा से, इस संबंध में प्रश्न करते हैं कि,, राधा ये तेरे साथ क्या हो गया,, तब राधा ने उन लोगों को जवाब दिया कि-,,प्रभू की ऐसी ही इच्छा है,,ऐसा कह अपने पिता के घर बापस हो जाती है। 
उधर जब माता राधा रानी गिरधर के घर पहुंचती है और इधर गिरधर के पिता के दुश्मन, जगराम के घर उसकी पुत्र वधू के जो श्रीराधा कृष्ण की भक्त थी,उसके एक मृत लड़का पैदा होता है। जगराम अपनी दुश्मनी का बदला गिरधर के पिता श्यामविहारी से लेने के उद्देश्य से, अपने उस मृत नाती के शव को, छुपकर गिरधर के घर यानी राधा के पास रख वहां से बापस चला आता है।
इधर जब राधा का ससुर श्यामविहारी
, खाना खाने के उद्देश्य से खाना लाने के लिए, राधा को आवाज लगाना चाहता है तभी श्यामविहारी को अपने घर में, छिपाकर रखे गए जगराम के नाती के रोने की आवाज सुनाई देती है। अचंभित हो उसने राधा को अपने पास बुलाकर कहा-,, बेटी राधा सच-सच बता कि क्या गिरधर कभी कभार, तेरे माइके तेरे पास भी आया जाया करता था,,। ,, पिताजी तुम्हारे बेटा 
  उस दिन मंदिर से बिदा कराने के बाद मुझसे कभी नही मिले,, ससुर की बात सुन राधा ने जवाब दिया। ,,तो फिर बेटी  राधा ये बता कि ये बच्चा किसका है,, श्यामविहारी ने राधा से पूछा। ,, पिताजी मुझे नही पता,, राधा ने अपने ससुर को जवाब दिया। ,, बेटी अब तूही बता कि इस धर्मसकंट से कैसे सुलझा जाये,, श्यामविहारी ने राधा से पूछा। ,, पिताजी इस समय हमारा धर्म यही कहता है कि अब चाहे कुछ भी परिणाम हो, हमें ये बच्चा अपने पास रखना ही चाहिए, जो होगा देखा जायगा,, राधा बोली। तब श्यामबिहारी उस लड़के का नाम गुपाल रखकर, अपने घर में अपने पास रखकर उसका पालन पोषण करने लगता है।         
   उधर गांव वाले राधा की गोद में बच्चा देख उस पर दोषारोपण लगाने लगते हैं कि गिरधर तो काफी दिनों से अपने घर नही आया, उसे तो बर्षों गुजर गए, तो फिर ये राधा से पैदा हुआ बच्चा किसका है,ये गिरधर का न होकर किसी अन्य का हो सकता है।
 उधर गिरधर के पिता को जब किसी के द्वारा इस दोषारोपण की जानकारी होती है तो, वह छुपकर अपने दुश्मन जगराम के पास पहॅुचता हैऔर उसको अपनी परिस्थिती बताते हुए उससे कहा-,,भाई जगराम कोई  एक नवजात बच्चे को छिपाकर मेरे घर डाल गया है।जिसका दोषारोपण मेरी राधा और मुझे झेलना पड़ रहा है। अब आप ही एक असत्य बोलकर मेरी इज्जत बचा सकते हो, कि मेरा लड़का गिरधर छुप-छुपकरअपने घर आया करता है,,। ,,श्यामबिहारी मै तेरे मकान पर कुछ बहाना बना कर पंचायत जोडूंगा। तव मै तेरे बेटेे गिरधर को तेरे घर में, छुपा हुआ दिखा दुंगा।जिस दिन मैं लोगों को पंचायत जोड़ने के लिए कहूं उससे पहले रात में छिपाकर तू अपने बेटेे गिरधर को घर में बुला लेना,,जगराम नेअपने दुश्मन श्यामविहारी को तसल्ली देते हुए उससे कहा। श्यामविहारी जगराम से ऐसा वादा करा, छुपकर अपने घर बापस आजाता है। श्यामविहारी के जगराम के पास से बापस आजाने के बाद, जगराम ने अपनी पत्नी से कहा ,,देवी हमारे साथ ये क्या हो गया,हम तो श्यामविहारी को बदनाम करने चले थे लेकिन ये क्या अपने ही हाथों से हमारा अनर्थ हो गया। हमने श्याविहारी को बदनाम करने के लिए, छुपकर उसके घर, अपने मृत नाती को छोड़ा था लेकिन देवी ये क्या, उस राधा के अचंल में जाकर तो हमारा बच्चा जीवित हो गया,,। इसी बीच छुपकर सुन रही, जगराम की पुत्रवधू सुसीला ने रोते हुए अपने ससुर जगराम से कहा-,, पिताजी तुमने येअच्छा नही किया।देखा मेरे पुत्र को उनकी पुत्रवधू राधा ने जीवनदान दे दिया। क्या गिरधर के पिता श्यामविहारी अब भी आपके दुश्मन बने रहे। मै कुछ नही सुनना चाहती अब मेरे पुत्र को मुझे बापस लाकर देदो,,। 
उधर गिरधर के पिता श्यामविहारी ने गिरधर से संपर्क कर कहा-,,बेटे गिरधर मेरे दरवाजे पर एक धर्मसंकट की पंचायत जुड़ने जारही है उसी के निमित्त तुझे पंचायत जुड़ने बाले दिन से पहले, रात को छुपकर अपने घर आना है,,। गिरधर अपने पिता से समय पर आने की हां कह देता है।
इधर नियत समय पर, पंचायत जुड़ने का दिन कुछ नजदीक आता है तो गिरधर ने अपने पिता से सम्पर्क कर कहा-,, पिताजी में उक्त समय पर नहीआ सकता, क्योंकि मेरी छुट्टी मंजूर नही हो पा रही है। तब गिरधर का पिता श्यामविहारी छुपकर, दुश्मन जगराम से पंचायत का समय बदलवाने के लिए, उसके पास जाता है लेकिन जगराम श्यामबिहारी की परिस्थिति देख अपने घर से गायब हो जाता है उससे मुलाकात नहीं करता। श्यामविहारी भगवान पर भरोसा कर निराश हो अपने घर बापस आजाता है। 
उधर जगराम की पुत्रवधू ने अपनी सास से कहा-,,माताजी हमारे ससुर जगराम जी को तो देखो, उनके दिल से अब भी दुष्टता नही गई लेकिन अब मै इस राज को पंचायत में जाकर सच-सच बता दूंगी कि  बच्चा राधा का नही वल्कि मेरा है,,।
 इधर जगराम अपने व्यक्तियों से जानकारी कराता है कि गिरधर अपने घर आया कि नहीं,जब उसे जानकारी मिलती है कि गिरधर नही आरहा,और उसका पिता मेरा दुश्मन श्यामविहारी परेशान है तो, जगराम मनही मन बहुत खुश होता है। पज-2 
उधर गिरधर को दुवारा कोशिश करने पर, अपनी ड्यूटी से छुट्टी मिल जाती है लेकिन उसका रात में छुपकर आने का समय निकल जाता है गिरधर सोचता है कि ,,अब क्या होगा, फिर बिचार करता है कि पिताजी पंचायत जुड़ने के लिए, अगले दिन की कह देंगे,चलो अब दिन में ही चलता हॅू कह दुंगा कल आया था, अब कोई सामान लेने बाहर चला आया  हूं ,,। 
इधर नियत समय पर गांव की पंचायत के लोग इकट्ठा होते हैं पंचायत में जगराम ने कहा-,,भाई लोगो ये तो आप लोगो को पता ही होगा, कि दो बरस पहले इस श्यामविहारी ने मेरे बेटे जयकिशन को अपने साथ तीर्थयात्रा पर लेजाकर, न जाने कहां अपहरण कर मरवा दिया लेकिन अब ये मेरे पैसे भी नही देना चाहता। इसका लड़का गिरधर महीने दो महीने में,इस घर के अंदर निश्चित आता है लेकिन ये मेरे पैसे की वजह से सबसे असत्य कहा करता है। मुझे सूचना मिली है कि आज भी इसका लड़का गिरधर, छुपकर घर आया हुआ है, जिसे मै तुम लोगों को दिखा सकता हूं  ,,। उधर श्यामविहारी जगराम की इन बातो को सुन-सुनकर परेशान होकर सोचने लगता है कि अब तो सारी बात खराब हो जाएगी क्योंकि उसे मालूम था कि उसका लड़का गिरधर समय पर घर नही आ सका है। उधर जब घर के अदर पंचायत के कुछ लोग जाते हैं तो राधा तथा गुपाल के साथ गिरधर भी अंदर मिलता है। उधर मंदिर पर पंचायत में गिरधर को बुलाया जाता है। इधर गिरधर को घर से आया देख, श्यामविहारी मनही मन खुश हो जाता है और ऊपर वाले का सुक्रियादा करता है।पंचायत में गिरधर के उपस्थित होने पर उसने अपने बेटेे गिरधर से कहा-,,बेटे गिरधर इस जगराम के जितने पैसे हों, उन्है इसे अदा कर देना, इसके कर्जे का एक पैसा भी अपने पास मत रखना,,। ,,काका जगराम अब भी समय है सोच लो असत्य बोला तो अपने वंश वृद्धि के लिए भी, वंचित रह जाओगे पछिताओगे,, पंचायत में गिरधर ने अपने पिता शयामविहारी की बात सुनकर अपने पिता के दुश्मन जगराम से कहा।  
इधर गिरधर की बात को सुन जगराम धर्मसंकट में पड़ते हुए परेशान हो जाता है कुछ कह नही पाता, नीची गर्दन करते हुए सोच में पड़ जाता है।
इधर उसी समय सुवकती हुई जगराम की पुत्रवधू सुशीला वहॉ पहॅुचती है, उसने राधा के द्वारा पाले गये, अपने पुत्र गुपाल को अपनी गोद में लेकर,ऑसू बहा रोते हुए कहा-,,बेटे गुपाल तेरे साथ, बहुत बड़ा अन्याय किया गया है, बेटेे जब तू हमारे यहॉ मेरी कोख से पैदा हुआ तब तू मर चुका था,तेरे दादा जगराम ने अपना बदला श्यामविहारी से लेने के लिए, तेरे मृत शरीर को छुपकर, राधा के घर डाल दिया था। ताकि राधा बदनाम हो जाये। लेकिन बेटेे ये राधा देवी,राधादेवी के साथ-साथ एक यशोदा मैया भी है। जिसने पुत्र तुझको जीवनदान के साथ-साथ, तुझे पाला पोषा भी है,। उधर उसी समय राधा तथा गिरधर गुपाल को सुशीला की गोद में छोड़कर, सभी लोगाें के देखते-देखते मंदिर में प्रवेश कर मंदिर में ही अंतर्ध्यान हो जाते हैं, फिर किसी को दिखाई नही देते। 
उधर बाहर से सेना की बर्दी में आते हुए, लोगों को गिरधर दिखाई देता है। इधर भीड़ को देख गिरधर ने उन लोगों से कहा-,,भाई लोगो आप यहां किस लिए इकटठा हुए हो,,। 
इधर अपनी लड़की राधा को साथ लेकर आए राधा के पिता राधारमन ने भी, पंचायत में आकर कहा-,,पंच लोगो मुझसे और मेरी बेटी राधा से ऐसी क्या गलती हो गई। जिसके कारण ये गिरधर के पिता राधा को लिवाने गए और फिर राधा को वही छोड़ कर चलेआए,,। उधर जगराम के लड़के जयकिशन को दो व्यक्ति अपने साथ लेकर आए, और उन्होंने पंचायत को बताया कि,,इसे मेले में एक बेल ने टक्कर मारदी थी, जिसके कारण इसकी याददाश्त चली गई थी लेकिन अब इसे कोई परेशानी नही, इसकी याददाश्त बापस आने पर ही, हम इसे यहां लाये हैं,, ये सब देख पंचायत के सभी लोग, अचंभित हो इसे एक चमत्कार या करिश्मा कहने लगते हैं। 
इधर पंचायत में सभी लोगों को अचंभित होता देख, गिरधर ने कहा-,,बुजर्ग व भाई लोगो इसमें आप लोगों को हैरान होने की कोई जरूत नही, क्योंकि मेरे प्रभू श्रीराधा कृष्ण ने  ही मेरी प्रार्थना के अनुसार अपना कुछ चमत्कार करके दिखाया है। लेकिन मैं और आप उसे समझ नही सके, और नाही मुझे अपने प्रभू श्री राधा कृष्ण के दर्शन हो सके,,। तब राधा के साथ गिरधर मंदिर के दरवाजे पर प्रार्थना करता है कि ,,प्रभू आपने अपनी कुछ लीला तो रचकर दिखादी लेकिन हमें अपने दर्शन तो दो,,। 
उधर जगराम की पुत्रवधू सुसीला ने  लड़के गुपाल को गोद में लेकर, राधा व गिरधर के साथ मंदिर के दरवाजे पर अपना सिर टेकते हुए कहा-,,प्रभू क्या आप इस गुपाल को जीवनदान देकर, अपनी भक्त सुसीला को दर्शन नही दोगे, प्रभू आपके दर्शन के वगरै तो हम, यहां से जाही नही सकते,,। उसी समय मंदिर में तेज प्रकाश के साथ, गिरधर ,राधा व जगराम की पुत्रवधू सुसीला, व लड़के गुपाल को प्रभु श्रीराधा कृष्ण अपने दर्शन कराकर अंतर्ध्यान होजाते हैं-समात- 

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

लड़का: शुक्र है भगवान का इस दिन का तो मे कब से इंतजार कर रहा था। लड़की : तो अब मे जाऊ? लड़का : नही बिल्कुल नही। लड़की : क्या तुम मुझस read more >>
Join Us: