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लापरवाही-इसलिए समझना चाहिए लापरवाही सबसे बड़ी दुश्मन हमारे लिए और दूसरों के लिए होती है

राकेश 25 Sep 2023 कहानियाँ समाजिक लापरवाही 10498 0 Hindi :: हिंदी

कभी गांव के कुत्ते बिल्ली संतोष के खाने के झूठे बर्तन चाटते थे, कभी संतोष अपनी एक वर्ष की बेटी को गाय भैंस के आसपास अकेला खेलने के लिए छोड़ देती थी, तो संतोष का पति सास उसे बहुत डांटते थे।

तब संतोष के पड़ोस की महिलाएं संतोष की मिशाल देखकर कहती थी "अगर हम भी संतोष जैसी लापरवाह और गैर जिम्मेदार होती थी, तो घर बर्बाद हो जाता।"

उनकी यह बात सुनकर उनके परिवार वालों की जवानों पर ताले लग जाते थे।
एक दिन संतोष की इस लापरवाही की वजह से एक मरखनी गाय संतोष की एक वर्ष की बेटी को अपने पैरों के नीचे कुचल देती है।

गांव का डॉक्टर जब संतोष की बेटी का ईलाज करने में असफल हो जाता है, तो वह संतोष के पति को अपनी बेटी को शहर के बड़े अस्पताल में ले जाने के लिए कहता है। 

शहर के बड़े अस्पताल में डॉक्टर संतोष की बेटी को अस्पताल में भर्ती कर लेते हैं तो अब संतोष के पति के सामने समस्या थी कि अस्पताल में एक बरस की छोटी सी बेटी के साथ कौन रूकेगा, क्योंकि संतोष की सास बुजुर्ग थी और उन्हें ज्यादा चलने फिरने में तकलीफ होती थी और संतोष का पति कपड़ों की दुकान पर नौकरी करता था, उसकी दुकान का मालिक एक-दो दिन से ज्यादा उसे छुट्टी नहीं दे सकता था और वह पहले ही दुकान से दो दिन की छुट्टी ले चुका था।

और संतोष को एक बरस की बेटी के पास रोकने का सबसे बड़ा घाट यह था कि शहर के बड़े अनजान अस्पताल में वह अपने साथ अपनी बेटी को भी कोई बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है।

और संतोष के पति का यह डर जब सच्चा साबित होता है, जब संतोष पड़ोस के मरीज से हीटर लेकर अपनी बेटी का दूध पकाने के बाद हीटर बंद नहीं करती है और गर्म पतीले को उतारने वाले कपड़े को हीटर के ऊपरी रख कर भूल जाती है।

तीसरी मंजिल पर भर्ती बेटी के कमरे की खिड़की खोलकर जैसे ही लापरवाह आलसी संतोष संतरा खाकर संतरे के छिलके कूड़ेदान में डालने की बजाय खिड़की से वह छिलके फेंकती है, तो बाहर तेज आंधी चलने की वजह से तेज हवा कमरे के अंदर आ जाती है और हीटर पर रखा कपड़ा आग पकड़ कर हवा से उड़कर कमरे के पर्दे को जला देता है।

कमरे का पर्दा जलने से आग पहले अस्पताल के कमरे में फैलती है और फिर तेज आग फैलने के बाद आधे अस्पताल को जलाकर राख कर देती है। 
ऊपर वाले के शुक्र से माल के अलावा किसी की जान को नुकसान नहीं पहुंचता है। 

और जब संतोष की बेटी अस्पताल से तंदुरुस्त होकर घर आ जाती है, तो मोहल्ले का बर्मा खराब होने कि वजह से संतोष नदी पर कपड़े धोने जाती है और कपड़े धोने के बाद उफान खाती नदी में लापरवाही से नहाते हुए डूब कर मर जाती है। 

इसलिए समझना चाहिए लापरवाही सबसे बड़ी दुश्मन हमारे लिए और दूसरों के लिए होती है।

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