Prince 05 Jun 2023 कविताएँ राजनितिक #राजनैतिक #हिन्दी कविता #Google #हिन्दी साहित्य 7854 1 5 Hindi :: हिंदी
शक्ति का खेल, राजनीति की वेशभूषा, धर्म नष्ट, नैतिकता की दुर्भाषा। सत्ता की चाल, मकसद की परम्परा, आम जनता की कर्ज में है सरपरा। वाद-विवाद में खोयी है सच्चाई, मतलबी वचनों का है खेलापन। जनता की आशा को लोटे हैं धोखे, राजनीति का नाटक चलता है संघर्षों के बीच। महंगाई की मार, बेरोजगारी का भय, जनता के दर्द पर हैं मुस्कान बनाए। धन, जाति, धर्म के बंधन में बंधे, राजनीति की गंदगी से हो गए शुद्धिकरण। जनता भरी है जब भी अपने नेताओं में विश्वास, सबूतों का खेल है, यही है राजनीति का स्वास। नेता बदले, पार्टी बदले, पर समस्या बरकरार, क्योंकि राजनीति की है यही असल ताकत। यह है राजनीति की कठपुतली का सच, जनता के लिए है यह नटक, एक मात्र संघर्ष का अभिनय। सत्ता का बाजार, मानवता का खेल-खेल, यह है राजनीति की खटिया का एक निर्मम व्यापार। दोस्तो ! कविता अच्छी लगे तो शेयर , फॉलो और कमेंट जरुर करें। एक कविता लिखने मे बहुत मेहनत लगती हैं । आपका बहुत आभार होगा । लेखक : प्रिंस ✒️📗
9 months ago
I am a curious person. Focus on improving yourself not 'proving' yourself. I keenly love to write st...