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वर्धमान

Ashok Kumar Yadav 30 Mar 2023 कविताएँ धार्मिक 68843 0 Hindi :: हिंदी

कविता का शीर्षक- वर्धमान

संसारिक माया से विरक्त हुए अतिवीर।
राज वैभव त्याग किया राजपुत्र वीर।।
कठिन तपस्या से हासिल किया ज्ञान।
सन्यास धारण कर बन गया महान।।
आत्मकल्याण करने निकल गए पथ।
ध्यान मुद्रा में बैठे हुए किया महातप।।
समवशरण में विद्या प्रसारित किया।
आत्मिक सुख प्राप्ति की मार्ग बताया।।
युग में बढ़ गया था पाप और भेद-भाव।
हिंसा, पशुबलि, जात-पात का प्रभाव।।
दुनिया को सत्य,अहिंसा का पाठ पढ़ाया। 
अहिंसा को उच्चतम नैतिक गुण बताया।।
जैन पंचशील सिद्धांत के प्रवर्तक आचार्य।
अहिंसा,सत्य,अपरिग्रह,अस्तेय,ब्रह्मचर्य।।
अनेकांतवाद और स्यादवाद के हैं जनक।
सर्वोदयी तीर्थों में क्षेत्र,काल,जाति मानक।।
त्याग, संयम, प्रेम, करुणा, शील, सदाचार।
धार्मिक मानव को देवता करते हैं नमस्कार।।
आत्म धर्म,सर्व आत्मा के लिए एक समान।
जियो और जीने दो सभी प्राणी को इंसान।।

कवि- अशोक कुमार यादव 
पता- मुंगेली, छत्तीसगढ़ (भारत)
पद- सहायक शिक्षक
पुरस्कार- मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण 'शिक्षादूत' पुरस्कार 2020
प्रकाशित पुस्तक- 'युगानुयुग'

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