Yogesh pintu thakur 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य प्रकृति 9419 0 Hindi :: हिंदी
प्रकृति का केहना है मेरा सुंदर वन धीरे-धीरे सुख रहा हैं। भरी-भरी नदियों का पानी नाजाने कहा खो रहा हैं। प्रकृति का केहना है मेरी साफ हवा प्रदुषित हो रही हैं। हर जगह हरीयाली होती थी अब प्लास्टिक की पन्नीया होती हैं। प्रकृति का केहना है हर रूतु के समय वहीं रूतु दर्शाती थीं। आपके उपकार से गर्मी में बरसात-बरसात में गर्मी दर्शाती हु। प्रकृति का केहना है मेरे बच्चों मैं बीमार हो रही हु मुझपर ध्यानदो। मेरे पशु प्रानी विलुप्त हो गए थे कहीं अब तुम ना विलुप्त हो जाओ।