Aarti Goswami 17 Jan 2024 कविताएँ दुःखद धरती मां का दुःख 7303 1 5 Hindi :: हिंदी
"धरती मां का दुःख" मेरा घर तुम उजाड़ रहे हो मां कह के मुझे सता रहे हो वनों को तुमने हटा दिया नदियों को गंदा बना लिया पहाड़ों पे तुम्हारा कहर हैं हवा में पूरा जहर हैं तो बोलो ऐसी परिस्थिति में मैं ममता कब तक दिखा सकूंगी गुस्से में उठती ज्वालामुखी को मैं कब तक शांत करती रहूंगी मेरा घर तुम उजाड़ रहे हो मां कह के मुझे सता रहे हो अच्छी फसल को तुमने चाहा रसायनों को प्रयोग लाया मिट्टी को पुरा प्रदूषित कर हर जगह को बंजर बना दिया तो बोलो ऐसी परिस्थिति में मैं उपजाऊ कब तक रह सकूंगी पेट तुम्हारा भरने को मैं कब तक पर्यत्न करती रहूंगी मेरा घर तुम उजाड़ रहे हो मां कह के मुझे सता रहे हो ~'आरती गोस्वामी'✍️
2 months ago