Amit bhatt 30 Mar 2023 कविताएँ देश-प्रेम सिपाही 22356 0 Hindi :: हिंदी
मेरे देश के सिपाही बढ़ने लगे है आगे, उद्धघोष संस्कृति का मेरा देश कर रहा है। जय घोष संस्कृति का मेरा देश कर रहा है , हम सब है भारतवाशी मेरा देश कह रहा है। कहती है हर दिशाएँ चलो बढ़ चले आगे , झुकते नहीं जो शीश चलो हम उन्हें झुकायें। मेरे देश के सिपाही.......... वो विशाल है हिमालय लगने लगा है बौना जो सो गए धरा में उनके लिए न रोना तू है महान भारत तेरी संस्कृति है न्यारी तू ममता का है आँचल करुणा मयी हमारी मेरे देश के सिपाही............. ना ही बड़ा है मुस्लिम न ही बड़ा है हिन्दू चलो एकता लाये तर जाये पाप सिंधु जब थे राजा राम चंद्र राजा मोईनुदीन तब न थी गरीबी सब थे दरिद्र हीन मेरे देश के सिपाही .......... जो उड़ गए कबूतर वो स्वेत नेहरू के बिकने लगी है दुनिया यूँ चंद पैसो में दिखने लगा है आतंक का ये कैसा साया मेरे देश के जवानो ने न खौफ इसका खाया मेरे देश के सिपाही.............. बढ़ ने लगे है आगे रण शेर से जवान कुछ हो गए है घायल कुछ सो गए धरा में ऐसी हुंकार सी लगाई दुश्मन को मार डाला मिटा दिया धरा से ये अंधकार काला मेरे देश के सिपाही.......... भारत माँ के सभी वीर सपूतों को समर्पित मेरी यह कविता जय हिन्द जय उत्तराखंड