संदीप कुमार सिंह 08 Aug 2023 शायरी प्यार-महोब्बत मेरी यह शायरी समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी रोमांचित होंगें। 7161 0 Hindi :: हिंदी
(शायरी) जब नकाब हटी रुखसार से, ऐसा लगा कि हीरा चमका हो। जब अल्फाज़ निकला लब से, ऐसा लगा कि संगीत बजा हो। जब आँखों ने जुंबिश करी, ऐसा लगा कि बिजली चमकी हो। हँसी के दरमियाँ मोती जैसा जब दाँत दिखा, ऐसा लगा कि चाँदनी की रोशनी हो। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....