संदीप कुमार सिंह 02 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4113 0 Hindi :: हिंदी
(कुंडलिया छंद) आओ मित्रों बैठ लूं,दिल से दिल लूं जोड़। चले न कोई जोर अब,कोई हमें न तोड़।। कोई हमें न तोड़,करे सलाम सब हमको। दुनिया में है धाक,ज्ञान देता हूं सबको।। आए जो जन पास,मधुर प्रसाद तब खाओ। उसे मिले नव शांति,पास मेरे जन आओ।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....