संदीप कुमार सिंह 28 Jun 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 6076 0 Hindi :: हिंदी
छमाछम बारिश आ रही है, हरियाली ही हरियाली छा रही है। सारे जीव आनन्द ले रहें हैं, नजारा बहुत ही अद्भुत लग रहा है। मानो एक नवीन सृजन हो रहा हो, बादल मेघ बन बरस रहा है। धरती भी तृप्त हो रही है, गरमी के तपन से मुक्त हो रही है। रंग_बिरंग छतरियों की बहार आई है, बाजारों में भी नया रौनक आया है। पक्षियाँ भी ख़ूब कलरव कर रहा है, गरिमा मय शांति कायम हुई है। जलचर_थलचर सभी भींग रहें हैं, चेहरों पर सबके नव कांति आई है। हृदय का स्पंदन बारिश की बूँद, दोनों सुर _ताल मिला रहें हैं। सजीव_निर्जीव सभी बारिश की बूँद संग, चमचमाती आभा को पा रहें हैं। साथ में दिल के अरमान भी, नूतन सुकून को पा रहा है। फूल_पल्लव सब ही नए रूप में, हमसब को लुभा रहें हैं। जिन्दगी भी अम्बर को दुआ दे रही है, बारिश की बूँद और भी जोरों से आ रही है। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....