संदीप कुमार सिंह 27 Apr 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाजिक हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5516 0 Hindi :: हिंदी
सोच समझ कर कीजिए,जीवन में हर काम। खुशियाँ तब नित साथ हो,मिले दिव्य परिणाम।। सोच समझ कर कीजिए,पूँजी कहीं निवेश। रहे खजाना पूर्ण तब,दूर रहे सब क्लेश।। सोच समझ कर कीजिए,दिल का कहीं जुड़ाव। मिलती कम है अब वफा,मिलता नहीं पड़ाव।। सोच समझ कर कीजिए,मदद वैर को यार। खिले तभी तो फूल नव,जीवन हो गुलजार।। सोच समझ कर कीजिए,नव्य चयन को आप। अदभुत दे परिणाम तब,महकदार दे छाप।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....