DINESH KUMAR SARSHIHA 30 Mar 2023 आलेख समाजिक #happiness#tension 9675 0 Hindi :: हिंदी
जब हमारे दिमाग में नकारात्मक विचार आते हैं, तब हमारे मन अवसादग्रस्त हो जाता है।यह छोटी सी भावना अगर घर कर ले तो जानलेवा भी हो सकती है।भारत जैसा खुशहाल देश आज अवसाद के मामले में बहुत आगे निकल चुका है।हम वक्त को चिकित्सक मानकर चुप बैठ जाते हैं,लेकिन शायद हम ये नहीं जानते कि हमें क्या करना चाहिए।पता ही नहीं होता कि वह व्यक्ति मानसिक तनाव की उस दहलीज पर है,जहां से तनाव निराशा और फिर अवसाद की जहरीली बेल में परिवर्तित हो सकता है।यह जहरीली बेल न केवल मन को खोखला कर देती है,बल्कि तन को भी प्रभावित करने लगती है।अगर इसे जड़ से न उखाड़ा जाए तो यह जानलेवा हो सकता है।विकास की कौन कहे सामान्य कामों को पूरा करने लायक आत्मविश्वास तक तब नहीं बचता।इसका परिणाम ये होता है कि रोग हमारे आसपास मंडराने लगते हैं।अंततः एक हंसती खेलती जिंदगी जागरूकता और सही उपचार के अभाव में अंधेरों में गुम हो जाती है।अतः प्रसन्नता ही एक मात्र इस अवसाद का समाधान है।
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