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श्रम देवता की पूजा करें...

DINESH KUMAR SARSHIHA 21 Feb 2024 आलेख समाजिक #shram #श्रम 757 0 Hindi :: हिंदी

एक बार स्वर्ग के देवता धरती पर विचरण करने आए|उन्हें आशा थी कि धरती के निवासी उनका विपुल स्वागत करेंगे ।उन दिनों खेतों में अनाज के पौधे लहलहा रहे थे ।कलियाँ और बालें निकल रही थी। लोग उन्हें देखकर फुला नहीं समा रहे थे ।चारों ओर मस्ती छाई हुई थी ,जहां देखो वहां वसंत उत्सव मनाया जा रहा था ।देवताओं की तरफ किसी ने आंख उठाकर भी नहीं देखा ।उन्हें जो स्वागत की आशा थी, वह कहीं नहीं मिला ।वरदान देने की अपनी क्षमता पर उन्हें जो गर्व था, वह गल चला।वे विश्वास करते थे कि अभावग्रस्त मनुष्य उनकी अनुकंपा प्राप्त करने के लिए बहुत गिरकर आएंगे और न जाने क्या-क्या मांगेंगे। याचकों की मनोकामना पूर्ण करने वाला सदा यशस्वी होता है और मान पाता है ।देवता इसी का आनंद लेने तो पृथ्वी पर आए थे ।जिसके पास वरदान देने की क्षमता हो उसके लिए वैसी चाहना भी उचित भी थी ।जब देवता निराशा लौटने लगे तो उन्होंने धरती से पूछा तुम्हारे पुत्र किस उपलब्धि में हर्षित हो रहे हैं, यह हमसे कोई याचना करने क्यों नहीं आए ।धरती ने इतनी दूर से पधारे हुए अपने मान्य अतिथियों का झुक कर स्वागत किया और नम्रता पूर्वक बोली ,इस लोक में यहां का भी एक देवता है ,वह भी आपकी तरह समर्थ्यवान है ।मेरे पुत्र उसी की पूजा करते हैं ।अब फल स्वरुप जो चाहते हैं तो प्राप्त कर लेते हैं ।आजकल उसी की अनुकंपा यहां बरस रही है, तो सबका मन उसी के स्वागत में लगा हुआ है ।आपको कुसमय आए। यदि दूसरे दिनों में आते हैं तो संभव था, आपकी भी अर्चना होती देवताओं के आश्चर्य का ठिकाना ना रहा ।उन्होंने पूछा भला इस मनुष्य लोक भी देवता बसता है और वह हम लोगों की तरह ही समर्थ मन है ऐसा हमें अब तक विद्युत ना था यदि ऐसा है तो उसका नाम बताओ स्थान दिखाओ धरती मुस्कुराई उसने एक मनुष्य को पास बुलाया और उसकी हथेली दिखाते हुए कहा वह देवता यहां रहता है खेत खेत में उसी की विभूति बिक्री पड़ी है मेरे सब पुत्रों का वर्णन पोषण उसी के द्वारा होता है श्री और समृद्धि सफलता और प्रगति सभी कुछ तो उससे मिलता है हथेली में रहने वाला ना दिखने वाला और इतनी विभूतियों का अधिपति बालक कौन देवता होगा स्वर्ग से पढ़ने वाले अतिथियों की यह एक पहेली थी मैं उसे ना सुलझा सके तो पूछने लगे देवी जरा और स्पष्ट करो उसका नाम रूप तो बताओ धरती की छाती गर्भ से तन गई उसने कहा वह देवता है श्रम मेरे पुत्रों ने उसी की आराधना करने की ठंड ठानी है और वह आज नहीं तो कल इस लोक में स्वर्ग की रचना करेंगे खेत खेत पर हरियाली के रूप में या श्रम ही रह रहा है यहां भी इस देवता की अर्चना होती है वहां विभूतियां हाथ बांधकर आंख खड़ी होती है जहां श्रम की पूजा होती है ना कोई ऐसी कमी नहीं रह सकती इसके लिए देवताओं को कष्ट करना पड़े इस तथ्य और सत्य के साथ-साथ स्वर्ग निवासियों ने वस्तु स्थिति को समझा और भेजो अपनी नियर उपयोगिता एवं मनुष्य की ओर से अपेक्षा का रहस्य समझते हुए अपने लोग वापस चले गए।

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