राहुल गर्ग 09 Mar 2024 कविताएँ दुःखद Rahulvision1.blogspot.com 3760 0 Hindi :: हिंदी
मेरी बेरंग सी जिंदगी में कुछ रंग भर गया चंद पल की खुशियों को यूँ बुलंद कर गया। तू आया था मेरे साथ बस चार दिन के लिए एक दाग था कुछ वर्षों से मिटा कर चला गया। कुछ और रिश्तों का जनम तेरे आने से हो गया पत्नी तो थी मैं पहले तू मुझे अपनी माँ कर गया। अंग भी ना दे सकी इतनी अभागिन थी मैं सीने से मेरे लग के तू मुझे धनवान कर गया। रहूँगी मैं अकेले पर तेरी यादें तो होंगी इस तरह तू मेरे दिल में घर कर गया । नसीब में नहीं है तो खुदा भी नहीं देता हर बात में है सच्चाई ये बता कर गया। तुझे जाना ही था तो मुझे भी ले चलता वीरान सी जिंदगी को फिर वीरान कर गया।