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बेटियाँ-ओस की बूँद सी होती है बेटियाँ

SEWANAND 15 Aug 2023 कविताएँ समाजिक बेटियाँ 13224 1 5 Hindi :: हिंदी

'बेटियाँ' 

ओस की बूँद सी होती है, बेटियाँ।

स्पर्श खुरदरा हो तो रोती हैं, बेटियाँ। रोशन करेगा बेटा तो बस एक ही कुल को, 

दो-दो कुलों की लाज को ढोती है, बेटियां।

कोई नहीं है दोस्तों एक-दूसरे से कम,हीरा अगर है बेटा, तो सच्चा मोती है बेटियाँ ।काँटों की राह पर खुद ही चलती रहेगी ,औरों के लिए फूल ही बोती है बेटियाँ। विधि का विधान यही दुनिया की रस्म कहने को तो पराई अमानत, पर बेटों से अपनी होती हैं, बेटियाँ।
लेखक :- सेवानंद चौहान
राज्य पुरस्कार प्राप्त शिक्षक

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SEWANAND
SEWANAND शानदार रचना

8 months ago

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