Meenubaliyan 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद समाज मे बेटी का संघर्ष 12389 0 Hindi :: हिंदी
बार बार कलम उठाई सोचा की कैसे लिखू, लिखना चाहा ज़ब एक माँ हाल कलम चली पर लफ्ज़ ना मिले कहा से सुरु करू क्या क्या मै लिखू, भ्रूण हत्या के नाम पर मारी गयी बेटी लिखू माँ की कोख उजड़ी उस माँ का दर्द लिखू, ना कोई हसीं ना कोई खुशी है, बेटी ने जन्म लिया है बस ये सोच के मन दुखी है, जिसे पाला है दुनिया के तानो ने जवान बेटी को घर से बाहर मत भेजना कुछ उच नीच हो गयी तो क्या करोगी. जवानी की सजा काट रही तैजाब जैसे छीठो से उस बेटी का दर्द क्या लिखू, माँ के सपने लेकर आयी दहेज़ के नाम पर जलाई गयी बेटी का दर्द क्या लिखू, बहुत कुछ है लिखने को सोचा की कैसे लिखू, कहा से सुरु करू क्या क्या मै लिखू क्या क्या मै लिखू..........
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