Shakuntala Sharma 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद # हर कोई रोता है# कोई जमी की खातिर# अपनी को खोकर# 35230 0 Hindi :: हिंदी
नसीब का खेल अजीब होता है। कोई गरीबी से दुःखी तो कोई अपनी करनी पर रोता है।। बंजर जमी और पथरीले रास्ते . चलना भी दुर तक . मंजिल की तलाश में सफर में कोई मिलता हे तो कोई अपनो को खोकर तन्हाई में रोता है।। ' मोहब्बते तो रास नही आती किसी इंसान को । गिरगिट की तरह रंग बदलता जमाना सारा यहां । कोई फूल पर सोता तो कोई काँटो की चुभन से रोता है।। नफरते पनप रही है दिलो मे.अंगारो की तरह । मौसम की तरह फितरते यू बदलती है पल भर में। दो जमी की खातिर तो कोई कफन की खातिर रोता है।। सब खेल है कुदरत के किसी के पास तन ढकने को वस्त नही तो कोई धुप से तपन को सहता है ॥ कोई जिस्मों की खातिर तो जमी की खातिर रोता है ॥ ************************************** शकुन्तला शर्मा। ।
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