Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

अलग पहचान

ब्राह्मण सुधांशु "SUDH" 30 Mar 2023 कविताएँ धार्मिक #मोटिवेशन, #अध्यात्मिक #भगवान #भेदभाव #प्यार #इंसान #इंसानियत 6866 0 Hindi :: हिंदी

बैठा यूँही गुमसुम मैं
गिद्ध को मै देख रहा
है कितना शक्तिशाली ये
आसमान मे  उड़ रहा



देख उसको मैंने भी प्रयत्न किया
फैला कर हाँथ उड़ने का स्वप्न किया
विफल हो जमी पर मुह के बल  मै गिरा 
रो कर बोला भगवान भेदभाव क्यूँ किया 



हुआ फिर ऎसा गिद्ध जमीं पर गिरा 
तड़प रहा वो प्यास से मुझे प्रतीत हुआ 
था इतना बड़ा वह देख मुझे भय हुआ 
फिर भी प्यास बुझाना उसकी मेरा धर्म हुआ 



मै गया उसके पास उसे गोदी मे उठा लिया 
ले कर चम्मच मे पानी उसको पिला दिया 
सहला कर उसको थोड़ा मैंने ढेर प्यार किया 
थोड़ी देर में ठीक हो कर वो फिर से उड़ दिया 




तभी अंतर्मन से मेरे अवाज आई 
तू इंसान है इंसानियत तुझमे समाई 
गिद्ध को देख कर उड़ान नहीं भरते 
अब समझा भगवान भेदभाव नहीं करते 


ब्राह्मण सुधांशु sudh  ✍️

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: