Abhinav chaturvedi 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक Abhinav chaturvedi 15434 0 Hindi :: हिंदी
कदम हार के डर से आगे ही नही जाते हैं, हारे हुए लोग कुछ, जीत की अहमियत सिखाते हैं। वे हारे हैं.... मैदान छोड़कर भागे तो नही, उनको इतना अनुभव न होता, अगर वे कदम आगे बढ़ाते ही नहीं। हार जाओ या जीत जाओ, या तुम बहाने वाले गीत गाओ। मेरी मानो, इससे अच्छा हारकर ही कुछ सिख जाओ। एक कदम आगे, एक कदम पीछे रखना है, सिखाने वालों को ऊपर रखो, तुमको एक कदम नीचे रहना है। चलते रहना है, फ़िरते रहना है। कहीं-कहीं दौड़ना, कहीं-कहीं गिरना है। मेरे कविता में भी मुझे यही कहना है- जीतेंगे तो शाबाशी, हार भी गए तो सिखना है।